कर के देखिये, हो जाएगा!!

कभी कभी हमारे अंदर बाहर इतना शोरगुल होता रहता है कि हम एकदम कन्फ्यूज़ हो जाते हैं,किसकी पहले सुनें!
और नतीज़तन मेरी तरह ही कोई इतनी स्याह रात से कुछ स्याही उधार लेकर लिखने बैठ जाता है, या तो दिल की लिख ले या बाहरी दुनिया की।
पर मैं दिल की लिखूंगी क्योंकि मेरे ख्याल से जो अंदर चलता है वो ज़्यादा जलता है।
एक सवाल कौंध रहा है मन में कि हम इतनी सुंदर ज़िन्दगी से भागते क्यों रहते हैं, ज़रा सी आँच पर इतनी तपन क्यों महसूस होने लगती है.?
कितना कुछ होता है हमारे पास फ़िर भी हम रीते रहते हैं..
प्यार करने जैसी ख़ूबसूरत क़ुदरती नेमत जिसे ज़िन्दगी कहते हैं उससे नफ़रत होने लगती है,क्यों?
वजहें कई होंगी पर एक वजह जो मेरी नज़र में है वो ये कि हम स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
स्वीकार नहीं कर पाते कभी जो कोई हमें दो कड़वी पर सच्ची बातें सुना दे....
जी में आता है कि कहने वाले को अच्छा सबक सिखा दें कि ज़ुबान पर ताले लग जाएं, है न!!!
हमसे सहा नहीं जाता जब किसी विषय पर "ना" सुनने को मिल जाए ...
उसने मुझे रिजेक्ट कर दिया, उसकी इतनी हिम्मत?? क्या समझती/समझता है ख़ुद को? 
हम स्वीकार करना ही नहीं चाहते जब सचमुच हमने ग़लत किया है तो, हमसे अनर्थ हुआ है तो,
हमने किसीके सपनो को रौंदा है तो। दिल से एक माफ़ी तक नहीं मांगी जाती हमसे। और जो कभी ऐसा कर भी लें तो एक बेचारगी के साथ करते हैं जिससे सामने वाले की करुणा को फ़िर से अपने कवच की तरह पा सकें। एक सॉरी में भी हम फ़रेब करते हैं। क्यों इतनी मुश्किल होती है सच्चे दिल से झुकने में?
क्यों इतनी मुश्किल होती है किसीको माफ़ करने में? ये जानते हुए भी कि सामने वाले की आख़िरी उम्मीद हैं आप, नहीं किया जाता आपसे माफ़...क्यों? ये जानते हुए भी कि वो अपनी ज़िंदगी की मौसिक़ी में आपको धुन बनाना चाहता है, आपको गुनगुनाना चाहता है जीना चाहता है... फ़िर भी आप माफ़ नहीं कर पाते उसकी पुरानी पैबन्द लगी ज़िन्दगी को.... क्यों?
एक नई शुरुआत होनी चाहिए,
 जब बीते हुए समय की कड़वाहट को कम न किया जा सके,
जब आप के सफ़र में आपकी परछाई के पीछे पीछे कोई चल रहा हो...
स्वीकार किया जाना चाहिए, जिसे बदला न जा सके.........
 भूल जाइए उसे .... जिसे मिटा न सकें...
कम कीजिये जलन को, जिसकी दहन अपनी चपेट में कई ज़िन्दगियाँ लिए जा रही हैं..... 
स्वीकार कीजिए , अपनी गलतियां,
माफ़ कीजिये ... दिल से जो शर्मिंदा हों,
भूल जाइए... कड़वी यादों को,
याद रखिए... हर स्नेहिल हृदय को,
प्यार कीजिये ....ज़िन्दगी को...
जी लीजिये...हर क्षण को..
क्योंकि.......
आप ये कर सकते हैं........!!!

Comments

  1. Namaskar mai kahna chaunga Ki dil Ki bat KO kaise samne show kru ..ye bat satya hai Ki shogul hota hai..aur samaj ke pariwar ke log confused ho jate hai Ki us time mujhe kya Karna chahiye...hum samaj mai dekhte hai Ki Galti swikar nhi krte hai ...jab Galti swikar nhi krte hai to sahi bol RHA ho to wo v bat galat lgti hai

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